सौजन्य हिमालय सा सुख है ,
तेरे आलिंगन का रुख है ।
तू तारों की परिभाषा है ,
तू जीवन की अभिलाषा है ।
तू मेरी मिटटी का सोना है ,
आँगन का एक खिलौना है ।
तेरी चाहत के फूलों में ,
मैं रौंध गया हूँ शूलों को ।
तू हृदय क्रांति का मंथन है ,
घर के दीपक का अंकन है।
तू चले हवाओं से आगे ,
आकाश तुझे छोटा लागे ।
सूरज सा तेज रहे तेरा ,
चन्दा सा शीतल हृदय तेरा ।
तारों सी चमक रहे हरदम,
तू धरती पर अभिमान मेरा ।
तेरे आलिंगन का रुख है ।
तू तारों की परिभाषा है ,
तू जीवन की अभिलाषा है ।
तू मेरी मिटटी का सोना है ,
आँगन का एक खिलौना है ।
तेरी चाहत के फूलों में ,
मैं रौंध गया हूँ शूलों को ।
तू हृदय क्रांति का मंथन है ,
घर के दीपक का अंकन है।
तू चले हवाओं से आगे ,
आकाश तुझे छोटा लागे ।
सूरज सा तेज रहे तेरा ,
चन्दा सा शीतल हृदय तेरा ।
तारों सी चमक रहे हरदम,
तू धरती पर अभिमान मेरा ।
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