बुधवार, 1 जुलाई 2009

कुछ नगमे .... उनकी आवारगी में ...

मोहब्बत की बनी बुनियाद पर, चलता रहा हरदम,
कोई दिलवर नहीं मिलता, यही कहता रहा हरदम |
तुम्हारे इश्क की खामोशियाँ, सहना गवारा है,
गवारा है नही मुझको, अभी चुपचाप यूँ हरदम |

हुस्ने - गुलशन की खुशबू में, मैं अक्सर डूब जाता हूँ,
तुम्हारी मुस्कुराहट से ,मैं अक्सर मुस्कुराता हूँ |
तुम्हें भी इश्क है मुझसे, मगर तुम कह नही सकती,
तुम्हारी ना में भी हाँ को, मैं अक्सर जान जाता हूँ |

जिंदगी के जोश में, शौक से मदहोश रहना ,
और मोहब्बत की अदाओं में हमेशा सुर्ख रहना |
गर अगर तुम जन जाओ, ये जवां धड़कन हमारी ,
भूल जाओगे हमारे , जशनेदिल में होश रखना |

अगर हम रूठ जाते , तो मनाने क्यूँ चले होते ,
बशर्ते इश्क की धड़कन , बताने क्यूँ चले होते |
समझती है निगाहों को, बताती है निगाहों से ,
मगर ये सादगी उनकी, अतः यूँ चुप नही होते |

रवि शंकर शर्मा