सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

ख़ास चर्चा -माते से माइंडलेस मोटे तक

माते की सीमित अनुकम्पा में मैं इंजीनियरिंग भूगोल के उस भाग की बात कर रहा हूँ जिसे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जालंधर के नाम से जाना जाता है | और इस पवित्र स्थल पर समाधी विलीन माते कई तपस्वी और चरितार्थियों को अपनी तीव्र निगाहों और जटाओं स्वरूपी त्रिज्या में लपेटे हुए वृत्ताकार परिधि में लगातार 4 साल से घुमा रही है | इन तपस्वियों की महानता की पराकाष्ठा में कुछ परिवार माते की शरण में इस तरह शरीक होते हैं, चाहे वो किसी गुप्ता खानदान से आए हों, या किसी मिलन समारोह से | इतना ही नहीं भारत का अभिन्न परन्तु दूर-दराज उत्तर-पूर्वी भाग भी माते की असीम कृपा से अछूता नहीं रहा है | हालांकि माते की भक्ति में डूबने वाले कई ऐसे गोताखोर भी है जो तटवर्ती स्थलों के बहुत ही प्रखर समुद्री तैराक भी रहे है | माते की चरण -रज कुछ लोगों ने इस तरह पखारी है कि कई लोग अतीत के आनंद में विलुप्त होकर घर के पायदान पर भी माथा टेक कर आये है | हालांकि आप सभी लोग एक ऐसे उपासक से जरूर वाकिफ होंगे जिसकी उपासना ने केवल तपस्वियों की तपस्या भंग की है वल्कि अपनी सज्जन ता से माते को भी अपने बस में किया है | और आज मैं ऐसे माते-उपासक के रिश्ते को सादर नमन करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि आने वाले चाँद महीनों में निरह एवं नि:संदेह इस संदेह में डूबे हुए शरणार्थियों को इस संदेह से मुक्ति मिल जायेगी और अपना जीवन यापन शालीनता और विसमता के साथ निर्वाह कर सकेंगे |

इसी क्रम में सामिल करते हुए एक नए किरदार के बारें मैं जरूर बताना चाहता हूँ जिसे मि. डिपेंडेंट ने फोन बाबा की उपाधि दी है | लेखक इस फोन बाबा की फोन समाधी के आगे नतमस्तक है और आशान्वित है कि जब समाधी से जागेंगे तो कई प्रार्थियों पर इनकी कृपा होगी जो इनके भोग में प्याज मिर्च मेगी लिए कई महीनों से खड़े है | ध्यान रहे बाबा सिर्फ और सिर्फ प्याज मिर्च मेगी खाते है | अरे हाँ आप सोच रहे होंगे कि लेखक ने मि. डिपेंडेंट के बारे में तो बताया ही नहीं , यह इस कहानी का वो किरदार है जिसकी डसने की महानता के चर्चे ने नाग देवता की महानता को भी ललकारा है | ये परिसर या परिसर के बाहर किसी को भी किसी भी वक्त कही पर भी डस लेते है | और इनके भारी भरकम शरीर को सतह देने के लिए हमेशा एक दूसरे शरीर की जरूरत होती है | यही कारण है कि इन्हें मि. डिपेंडेंट कहा जाता है |

क्या आपने कभी किसी मेढक को पीठ के भर लेटा हुआ देखा है ?


मैं इसी तरह सोने की बात कर रहा था | और हाँ अगर नहीं देखा है तो आइए कमरा . 144 , हॉस्टल . 6 में माइंडलेस मोटे को इसी अवस्था में सोते हुए देखे | बस फर्क इतना है जो हाथ ऊपर दिखाए गए चित्र में पेट पर है माइंडलेस मोटे का हाथ कहीं और होता है बाकी आप खुद समझदार है | कमरे में घुसते समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी होंगी जो निम्नलिखित है -
1. सिर्फ और सिर्फ विस्तर पर निगाहें रखें | इधर या उधर देखने से आपको अवांछनीय पदार्थ भी नज़र सकते है
2. जमीन पर पड़े किसी कागज़ अथवा खाली डिब्बी को न उठाएं |
3. और अधिक जानकारी के लिए मिलें मि.डिपेंडेंट से जिनकी असावधानियाँ आपको सभी सावधानियों से अवगत करा देंगी |

ऊपर बताया गया विवरण मात्र परिभाषाएं है सभी किरदारों की | अधिक जानकारी के लिए मिलते रहे इसी ब्लॉग पर |
धन्यवाद !

6 टिप्‍पणियां:

  1. by god kya hindi hai boss......
    aapko dekh ke lagta to nhi ki aap hindi ke vishey mai itne nipurn honge........

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  2. Thanx ki aapko mera likha hua pasand aaya, per mujhe pata hai itna acha bhi nhi likhti.....

    kabhi kabhi likhti hun kuch dil mai ho to....waise I m not a regular writer.......

    hum hindustani hai hindi hamari maatra bhasaha hai aur aapko itni achi aati hai to shaan ki baat to hai hi.......hamari to jaisi hindi hai waise hi english dono hi latke hue hai......

    aap jaise Indian per to proud hota hai hum jaise nalayako ko....

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  3. aji hazoor ravi sharma , i mean BEsharma ji..zaraa idhhr to dekho..aapka cheer jharan bhi ho gya hai....
    www.ravishankarBesharma.blogspot.com

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