राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जालंधर के अतिभ्रमण के क्रमांक में कुछ ऐसे पहलु खड़े हो जाते है कि जिन पर अत्यधिक विश्वास और निष्ठां के साथ मनोरंजन के महल में बैठा लेखक यही सोचता रहता है कि मुझे उन सभी निष्ठावानों से माफी मांगनी चाहिए जिन्होंने मेरा पिछला ब्लॉग पढ़कर बस यही सोचा होगा कि कमवक्त मेरा नाम क्यों नहीं है कि मेरी भक्ति में क्या कमी रह गयी ? मुझे तो परमेश्वर की कृपा से सिर्फ फोन पर ही धमकाया गया, वरना जीवन के इस एतिहासिक समय में एक ऐसा चक्रव्यूह रचा जा सकता था या सकता है कि जिससे बाहर निकलने की कोशिश में लेखक के बचे हुए करीब २- ३ महीने बीत जाते |
आज लेखक कठघरे में है परन्तु सच्चाई को सरल भाव में और सजगता पूर्ण ढंग से आप सभी तक पहुंचाना मेरा कर्त्तव्य है और में अपने कर्त्तव्य को सही ढंग से निभाने में हमेशा सफल रहूँ ऐसी शक्ति और ऊर्जा की कामना मैं आप सभी से करता हूँ | हालांकि अंतिम वर्ष के चंद महीनों के कुछ पहलु सुबह की सैर में कुछ इस तरह बीत जाएंगे मानो अतीत के आनंद की शिखाओं का पीछा करते हुए चेन्नई से कलकत्ता तक पहुँच कर किसी समूह के दामाद बन बैठे हों | हालांकि इसी क्रम में कुछ पहलु इस तरह जुड़े है कि जिनकी खबर दिव्य ज्योति में विलीन होकर मस्ती (मस्की ) में झूमती हुई दिल के टुकड़ों के साथ संस्थान के वातावरण में इस तरह छा गयी कि जिसकी खुशबू से कोलाहल सा मच गया है | हालांकि समय के अनुसार उक्त घटना को सार्थक रूप से अंजाम देने के लिए पांडे और वीरे को दोसी ठहराया गया है | आपको बता दूं पांडे वह षड्यंत्रकारी और राजनीतिज्ञ है जिसने सारे अंतिम वर्ष के छात्रों के साथ गठजोड़ बनाकर अपने आप को दुनिया की नज़रों से अलग कर रखा है, मैं चाहता हूँ कि ऐसे व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए |
वीरा और लड़की नदी के दो ऐसे किनारे है जो कभी मिल नहीं सकते, और जब जब ऐसा हुआ है तब तब वीरा के जीवन की नदी कि धार सी टूट गयी हो , साँसे थम सी जाती है गालियों का कोलाहल तो इस तरह थम जाता है जैसे रात में पक्षियों के चहचहाहट की आवाज़ थम जाती है |
समय के बारे में मैं तुम्हें क्या बताऊँ वैसे तो समय की उपाधि बहुतों को दी गयी है परन्तु मैं उस सर्वज्ञ समय की बात कर रहा हूँ जो फूलों के पराग से उस रस का सेवन करता है जिसकी महक तक भवरों ने नहीं ले पाए| चाहे वो मस्की - IIT से जुडी हुई डी फेक्टर की घटनाएं हो या मोटे की गटर में तैरने के विकास सम्बन्धी बातें हो |
समय के अनुसार लड़कियों के एक समूह के द्वारा दी गयी धमकी से इंडस्ट्रियल के सभी छात्र अंडर ग्राउंड है
क्या समय के रहते हुए अब लेखक को कठघरे में होना चाहिए ?
आज लेखक कठघरे में है परन्तु सच्चाई को सरल भाव में और सजगता पूर्ण ढंग से आप सभी तक पहुंचाना मेरा कर्त्तव्य है और में अपने कर्त्तव्य को सही ढंग से निभाने में हमेशा सफल रहूँ ऐसी शक्ति और ऊर्जा की कामना मैं आप सभी से करता हूँ | हालांकि अंतिम वर्ष के चंद महीनों के कुछ पहलु सुबह की सैर में कुछ इस तरह बीत जाएंगे मानो अतीत के आनंद की शिखाओं का पीछा करते हुए चेन्नई से कलकत्ता तक पहुँच कर किसी समूह के दामाद बन बैठे हों | हालांकि इसी क्रम में कुछ पहलु इस तरह जुड़े है कि जिनकी खबर दिव्य ज्योति में विलीन होकर मस्ती (मस्की ) में झूमती हुई दिल के टुकड़ों के साथ संस्थान के वातावरण में इस तरह छा गयी कि जिसकी खुशबू से कोलाहल सा मच गया है | हालांकि समय के अनुसार उक्त घटना को सार्थक रूप से अंजाम देने के लिए पांडे और वीरे को दोसी ठहराया गया है | आपको बता दूं पांडे वह षड्यंत्रकारी और राजनीतिज्ञ है जिसने सारे अंतिम वर्ष के छात्रों के साथ गठजोड़ बनाकर अपने आप को दुनिया की नज़रों से अलग कर रखा है, मैं चाहता हूँ कि ऐसे व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए |
वीरा और लड़की नदी के दो ऐसे किनारे है जो कभी मिल नहीं सकते, और जब जब ऐसा हुआ है तब तब वीरा के जीवन की नदी कि धार सी टूट गयी हो , साँसे थम सी जाती है गालियों का कोलाहल तो इस तरह थम जाता है जैसे रात में पक्षियों के चहचहाहट की आवाज़ थम जाती है |
समय के बारे में मैं तुम्हें क्या बताऊँ वैसे तो समय की उपाधि बहुतों को दी गयी है परन्तु मैं उस सर्वज्ञ समय की बात कर रहा हूँ जो फूलों के पराग से उस रस का सेवन करता है जिसकी महक तक भवरों ने नहीं ले पाए| चाहे वो मस्की - IIT से जुडी हुई डी फेक्टर की घटनाएं हो या मोटे की गटर में तैरने के विकास सम्बन्धी बातें हो |
समय के अनुसार लड़कियों के एक समूह के द्वारा दी गयी धमकी से इंडस्ट्रियल के सभी छात्र अंडर ग्राउंड है
क्या समय के रहते हुए अब लेखक को कठघरे में होना चाहिए ?
sir kuchh samajh nai aya??
जवाब देंहटाएंstory ka shuru to btao!!!!!!
Read first my last blog then u may understand
जवाब देंहटाएंIs that your college's story????????
जवाब देंहटाएंI mean is it a real story???
good yaar.........
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