बुधवार, 18 नवंबर 2009

इसे पढना आपकी जिम्मेदारी ही नही बल्कि मजबूरी भी है ....


ये एक ऐसा पोथा है जिसे पढ़ना आपकी जिम्मेदारी ही नही बल्कि मजबूरी है जिसमें दफ़न है गरीबी भुखमरी और कई ऐसी पीड़ित जिंदगियां जिनके बारें में सोचना हमारी मजबूरी बन गई है |आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि एक इंजीनियरिंग का क्षात्र इस तरह की घिसी पिटी वकवास क्यों कर रहा है , तो इसमें हैरत की कोई बात नही क्योंकि तकनीकी सिर्फ़ उन गोरे सेठों का ही मुह नही ताक रही जिनके एक इशारे पर सारा युवा नांच रहा है | तकनीकी उन मुरझाए हुए चेहरे को भी देख रही है जिनकी आँखे बड़ा सपना देखने का हुनर पाल रही है , तकनीकी सूखे और बंजर खेत एवं भूखे और लाचार पेटों का भी मुह ताक रही है या फ़िर इसका उल्टा है | मैं ऊपर दिखाए गए चित्र पर बिल्कुल टिप्पड़ी नहीं करूँगा, क्योंकि चित्र अपने आप में ही स्पस्टीकरण है |

अफ्रीका, चीन, भारत और अमरीका के अनाज उत्पादन से जुड़े कुछ आंकड़े इस बात पर सोचने के लिए आपको मजबूर जरुर कर देंगे कि गोरे सेठों की दूकान पर बैठ कर काम करूँ या फ़िर अपना काम जिसे हम हीन भावना से देखते है


उक्त जानकारी के अनुसार मैं यही सिद्ध करना चाहता हूँ कि तकनीकी का प्रयोग भरपूर तरीके से कृषि में भी किया जाना चाहिए | लेकिन बिडम्बना यही है कि हर कंप्यूटर इंजिनियर बिल गेट्स बनाना चाहता है | मैं आज इस पोथे के माध्यम से यही कहना चाहता हूँ कि हमें कृषि की तरफ़ भी अधिक ध्यान देना चाहिए | क्योंकि गरीबी का सबसे बड़ा कारण यही है |

परन्तु भारत की मूल धारा से हमें एक विशेष षड़यंत्र के तहत अलग करने का काम राजनीति कर रही है , हर युवा को यह बात समझनी होगी और इसका मुह तोड़ जवाब देना होगा क्योंकि भारत का विकास करना सिर्फ़ हमारा कर्तव्य है बल्कि इसको शिखर पर पहुंचाने का हुनर भी युवा की खूबी है जिसे राजनीति बखूबी अपने मकसद को पूरा करने के काम में ला रही है |

मेरे साथियो मैं बहुत अधिक जानकारी अपने ब्लॉग के माध्यम से नही दे पाउँगा, मैं आपसे गुजारिश करता हूँ कि आप इन्टरनेट पर समय बिताते समय भारत में कृषि को विकसित करने के उपाय ढूदे और इस तरफ भरपूर ध्यान दे तो निश्चित रूप से ऐसे आंकड़े मिलेंगे जिससे आपका दिल दहल जाएगा | बस इतना और कहूँगा कि हमारी इस बात को अपनी बात बना लो और सारे जहाँ में तूफ़ान की तरह फैला दो |

धन्यबाद !

-रवि शंकर शर्मा

3 टिप्‍पणियां:

  1. बात आपने विचार योग्य लिखी है. साधूवाद.

    वैसे यह पड़ने (खड्डे में?) योग्य नहीं पढ़ने योग्य है. अतः ठीक कर लें. :)

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